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मल्लिकार्जुन खरगे ने PM Modi को पत्र लिखकर पूछे 11 सवाल, CBI जांच पर जताया संदेह; कैग की रिपोर्ट पर मांगा जवाब

Updated on: 14 August, 2023 05:14 PM IST | Mumbai
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Odisha Train Accident ओडिशा में हुए बालेश्वर ट्रेन हादसे को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पीएम मोदी को पत्र लिखा है। कांग्रेस अध्यक्ष ने रेल हादसे पर दुख जताते हुए पीएम से रेलवे में सुधार की मांग की है।

Narendra Modi PM

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नई दिल्ली, एएनआई। Odisha Train Accident ओडिशा में हुए बालेश्वर ट्रेन हादसे को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। कांग्रेस अध्यक्ष ने पत्र में रेल हादसे पर दुख जताते हुए पीएम से रेलवे में सुधार की मांग की है। 



खबरों में बने रहने के लिए रेलवे को दिया जा रहा `टच अप`

खरगे ने पत्र में कहा-


मुझे खेद है कि रेलवे को बुनियादी स्तर पर मजबूत करने की बजाय खबरों में बने रहने के लिए सतही टच अप दिया जा रहा है। कांग्रेस नेता ने कहा कि रेलवे को अधिक प्रभावी, अधिक उन्नत और अधिक कुशल बनाने के बजाय इसके साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि लगातार गलत निर्णय लेने के चलते रेल यात्रा को असुरक्षित बना दिया गया है और हमारे लोगों की समस्याएं बढ़ रही हैं।

पीएम मोदी से पूछे 11 सवाल

1- पिछले 9 वर्षों में रेलवे में बड़ी संख्या में खाली पड़े पदों को क्यों नहीं भरा गया?

कांग्रेस अध्यक्ष ने पीएम से सवाल करते हुए कहा कि भारतीय रेलवे में इस समय करीब 3 लाख पद खाली पड़े हैं। अकेले ईस्ट कोस्ट रेलवे में जहां यह दुखद दुर्घटना हुई, उसी के लगभग 8278 पद रिक्त हैं।

खरगे ने कहा कि वरिष्ठ पदों के मामले में भी यही हाल है, जहां नियुक्तियों में पीएमओ और कैबिनेट समिति दोनों महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। नब्बे के दशक में 18 लाख से अधिक रेलवे कर्मचारी थे, जो अब घटकर लगभग 12 लाख रह गए हैं, जिनमें से 3.18 लाख अनुबंध के आधार पर कार्यरत हैं।  

2- लोको पायलट के पद क्यों नहीं भरे गए

खुद रेलवे बोर्ड ने हाल ही में माना है कि मैनपावर की कमी के कारण लोको पायलटों को अनिवार्य घंटों से ज्यादा घंटे काम करना पड़ा रहा है। लोको पायलट सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं, लेकिन उनके काम का ओवरबर्डन हादसों का मुख्य कारण साबित हो रहा है। उनके पद अब तक क्यों नहीं भरे गए?

3- ओडिशा हादसे से पहले मिली चेतावनी की अनदेखी क्यों हुई?

खरगे ने कहा कि इसी साल 8 फरवरी को दक्षिण पश्चिम क्षेत्रीय रेलवे के प्रधान मुख्य परिचालन प्रबंधक ने मैसूर में दो ट्रेनों की टक्कर का हवाला देते हुए सिग्नलिंग प्रणाली को दुरुस्त करने की आवश्यकता पर जोर दिया था और भविष्य में होने वाली संभावित दुर्घटनाओं के बारे में भी आगाह किया था, लेकिन रेल मंत्रालय ने इस अहम चेतावनी की अनदेखी क्यों की?

4- रेलवे सुरक्षा आयोग को क्यों नहीं किया गया मजबूत

परिवहन, पर्यटन और संस्कृति पर संसदीय स्थायी समिति ने अपनी 323वीं रिपोर्ट में रेलवे सुरक्षा आयोग (सीआरएस) की सिफारिशों के प्रति रेलवे बोर्ड की लापरवाही की आलोचना की थी। रिपोर्ट में सीआरएस की कमी बताई गई थी, लेकिन सीआरएस को मजबूत करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया।

5- CAG की चेतावनी को हल्के में क्यों लिया?

सीएजी की नवीनतम ऑडिट रिपोर्ट में इस बात का विशेष उल्लेख किया गया है कि 2017-18 से 2020-21 के बीच 10 में से लगभग 7 ट्रेन दुर्घटनाएं पटरियों से बोगी के उतरने के कारण हुईं। इसके साथ 2017-21 के बीच ईस्ट कोस्ट रेलवे में सुरक्षा के लिए रेल और वेल्ड (ट्रैक मेंटेनेंस) की जीरो टेस्टिंग हुई थी। खरगे ने कहा कि इसके बावजूद इसे नजरअंदाज क्यों किया गया?

6- क्या यह यात्रियों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ नहीं है?

कैग की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि राष्ट्रीय रेल सुरक्षा कोष (आरआरएसके) के लिए धन में 79 फीसद की भारी कमी की गई है। बजट पेश करने के दौरान दावा किया गया था कि सालाना करीब 20 हजार करोड़ रुपये मिलेंगे, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। ट्रैक नवीनीकरण कार्य के लिए आवश्यक धनराशि क्यों आवंटित नहीं की गई? 

7- `कवच` का उपयोग केवल 4 फीसद मार्ग पर ही क्यों?

खरगे ने पत्र में पूछा- पिछली सरकार की ट्रेन-टक्कर रोधी प्रणाली, जिसे मूल रूप से रक्षा कवच नाम दिया गया था, उस योजना को ठंडे बस्ते में क्यों डाला गया? इस प्रणाली को कोंकण रेलवे द्वारा विकसित किया गया था और 2011 में अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (आरडीएसओ) द्वारा सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया था, इसका उद्देश्य ट्रेनों की टक्कर को रोकना था।

खरगे ने कहा-आपकी सरकार ने बस योजना का नाम बदलकर `कवच` कर दिया और मार्च 2022 में खुद रेल मंत्री ने इस योजना को एक नए आविष्कार के रूप में पेश किया। लेकिन सवाल अभी भी बना हुआ है कि भारतीय रेलवे के केवल 4 फीसद मार्गों को अब तक `कवच` द्वारा संरक्षित क्यों किया गया है?

8. क्यों रेल बजट का केंद्रीय बजट में विलय किया गया?

खरगे ने कहा भारतीय रेल के बजट को केंद्रीय बजट के साथ विलय करने का क्या कारण था? क्या इससे भारतीय रेलवे की स्वायत्तता और निर्णय लेने की क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ा है? क्या ऐसी लापरवाह निजीकरण को आगे बढ़ाने के लिए रेलवे की स्वायत्तता को कमजोर करने के लिए किया गया था? संसदीय कार्यवाही के दौरान भले ही रेलवे के निजीकरण का बार-बार विरोध किया गया हो, लेकिन स्टेशनों पर ट्रेनों को खुलेआम निजीकरण के दायरे में लाकर सभी चिंताओं को नजरअंदाज कर दिया गया है।

9- टिकट में रियायत को न देने से किसे हो रहा फायदा?

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा- भारतीय रेलवे जैसी विशाल इकाई ने आजादी के बाद से समाज के सभी वर्गों को राहत दी है, लेकिन यह समझना मुश्किल है कि महामारी के दौरान बुजुर्गों, बच्चों और महिलाओं को दी जा रही रियायतों को वापस लेने के फैसले का लाभार्थी कौन रहा है? 

10- CBI से जांच क्यों?

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव यह स्वीकार नहीं करना चाहते कि समस्याएं हैं और न ही गलती मान रहे हैं। खरगे ने कहा कि सरकार सीबीआई से रेल हादसे की जांच करवा रही है, लेकिन ये एजेंसी अपराधों की जांच के लिए है न की रेल दुर्घटनाओं के लिए। सीबीआई या कोई अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसी, तकनीकी, संस्थागत और राजनीतिक विफलताओं के लिए जवाबदेही तय नहीं कर सकती है। इ

11- 150 मौतों के लिए जिम्मेदार कौन ?

खरगे ने पीएम से सवाल करते हुए पूछा कि 150 मौतों के लिए आखिर कौन जिम्मेदार है? इसका जवाब देने से बचा क्यों जा रहा है।

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